रिश्वतखोरी पर ताबड़तोड़ एक्शन: नरसिंहपुर में कॉपरेटिव इंस्पेक्टर ₹3000 की घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार!

​वेतन जारी करने के बदले मांग रहा था पैसा, जबलपुर लोकायुक्त टीम की बड़ी कार्रवाई से विभाग में मचा हड़कंप
 
Trap Action
मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस का अभियान लगातार जारी है। गुरुवार, 11 दिसंबर 2025 को जबलपुर लोकायुक्त की एक विशेष टीम ने नरसिंहपुर जिले में बड़ी कार्रवाई करते हुए सहकारिता निरीक्षक (Cooperative Inspector) को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। आरोपी निरीक्षक संजय दुबे (उम्र 55 वर्ष) को उनके कार्यालय परिसर में ही शिकायतकर्ता से ₹3,000 की रिश्वत लेते पकड़ा गया। इस कार्रवाई से सहकारिता विभाग के दफ्तर में अचानक हड़कंप मच गया और भ्रष्ट कर्मचारियों के बीच दहशत फैल गई।
​कैसे बिछाया गया जाल?
​यह पूरा मामला नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव स्थित सहकारिता विभाग के उपायुक्त कार्यालय से जुड़ा है।
​शिकायत: गोटेगांव की सिमरिया सहकारी समिति में सहायक प्रबंधक के पद पर पदस्थ देवी प्रसाद तिवारी ने 8 दिसंबर 2025 को लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक (SP Lokayukta) कार्यालय जबलपुर में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी।
​मांग: शिकायतकर्ता तिवारी ने लोकायुक्त को बताया कि सहकारिता निरीक्षक संजय दुबे, उनके और अन्य कर्मचारियों के अक्टूबर और नवंबर माह के वेतन को जारी करने के एवज में रिश्वत की मांग कर रहे थे। निरीक्षक ने वेतन जारी करने के लिए ₹3,000 रिश्वत के रूप में मांगे थे।
​सत्यापन: शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त टीम ने सबसे पहले शिकायत का सत्यापन किया। सत्यापन में यह पाया गया कि निरीक्षक संजय दुबे वास्तव में रिश्वत की मांग कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें रंगे हाथों पकड़ने के लिए एक सुनियोजित ट्रैप कार्रवाई का निर्णय लिया गया।
​ट्रैप: गुरुवार को लोकायुक्त जबलपुर की 8 सदस्यीय टीम नरसिंहपुर पहुंची और अपनी योजना को अंतिम रूप दिया। योजना के तहत, शिकायतकर्ता देवी प्रसाद तिवारी केमिकल लगे हुए ₹3,000 की रिश्वत राशि लेकर सहकारिता निरीक्षक संजय दुबे के पास पहुंचे।
​रिश्वत लेते ही दबोचा
​लोकायुक्त टीम ने निरीक्षक दुबे के दफ्तर के बाहर अपना जाल बिछा रखा था। जैसे ही शिकायतकर्ता देवी प्रसाद तिवारी ने रिश्वत की रकम संजय दुबे को दी, और निरीक्षक ने वह राशि अपनी जेब में रखी, पास में ही सादी वर्दी में मौजूद निरीक्षक शशिकला के नेतृत्व वाली लोकायुक्त टीम ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें रंगे हाथों धर दबोचा।
​रिश्वत की राशि जब्त करने के लिए लोकायुक्त दल ने आरोपी के हाथ धुलवाए, जिसके बाद केमिकल लगे नोटों के संपर्क में आने से रंग छूट गया और यह साबित हो गया कि निरीक्षक ने रिश्वत ली थी। इस दौरान कई सरकारी कर्मचारी मौके से इधर-उधर होते नजर आए।
​भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज
​लोकायुक्त पुलिस ने सहकारिता निरीक्षक संजय दुबे के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं (धारा 7 सहित) के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपी को गिरफ्तार कर आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है। लोकायुक्त अधिकारियों का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यह अभियान लगातार जारी रहेगा और भ्रष्ट कर्मचारियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
​यह घटना दर्शाती है कि मध्य प्रदेश में लोकायुक्त विभाग भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों पर लगातार सख्ती बरत रहा है, लेकिन इसके बावजूद सरकारी महकमों में रिश्वतखोरी का चलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

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