इंदौर मेट्रो को बड़ा बदलाव: 3.3 किमी रूट अब भूमिगत, लागत ₹900 करोड़ बढ़ी

इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट में बड़ा बदलाव: खजराना से रेलवे स्टेशन तक 3.3 किमी रूट अब अंडरग्राउंड होगा, जिससे लागत में ₹900 करोड़ का इज़ाफ़ा होगा। जानें कारण, प्रभाव और परियोजना की नई रूपरेखा। 
 
Indore
इंदौर मेट्रो का बड़ा निर्णय: 3.3 किमी लाइन अब अंडरग्राउंड, लागत में ₹900 करोड़ का इज़ाफ़ा
इंदौर में मेट्रो रेल परियोजना को लेकर एक बड़ा बदलाव किया गया है। अब शहर के खजराना स्क्वायर से रेलवे स्टेशन तक 3.3 किलोमीटर लंबी मेट्रो लाइन को एलिवेटेड कॉरिडोर की बजाय भूमिगत (अंडरग्राउंड) बनाया जाएगा। इस फैसले से इस महत्वपूर्ण खंड की लागत में लगभग ₹800-900 करोड़ की वृद्धि होगी, जिसे मध्य प्रदेश सरकार वहन करेगी। 
परिवर्तन का निर्णय क्यों लिया गया?
मुख्य वजह है कि यह खंड इंदौर के घनी आबादी वाले आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों के बीच से गुजरता है। पहले इसका प्रस्ताव उत्थान (एलिवेटेड) रूप में था, लेकिन स्थानीय निवासियों और व्यापारियों ने इसे लेकर असंतोष जताया था। उनका तर्क था कि उन्नत (Elevated) मेट्रो कॉरिडोर से व्यवसायों और रोज़मर्रा की गतिविधियों में व्यवधान होगा तथा सड़क पर रहने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। ऐसे विरोध और शहरी उपयोगकर्ताओं की चिंताओं को देखते हुए सरकार ने भूमिगत विकल्प अपनाने का निर्णय लिया। 
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद स्पष्ट किया कि यह बदलाव “शहर की सुंदरता, यातायात प्रबंधन और जनता की सुविधा को ध्यान में रखकर” किया जा रहा है। भूमिगत मेट्रो निर्माण से सड़कों पर यातायात व्यवधान कम होगा और आसपास के इलाकों की सड़क व वॉकवे संरचना पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 
लागत में बढ़ोतरी – ₹900 करोड़
भूमिगत कॉरिडोर का निर्माण पारंपरिक एलिवेटेड कॉरिडोर की तुलना में अधिक जटिल और महँगा होता है। इस बदलाव के कारण परियोजना की लागत में अनुमानित ₹800-900 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि राज्य सरकार के बजट से कवर की जाएगी। शुरुआती लागत अनुमान लगभग ₹7,500 करोड़ था, और इसमें यह अतिरिक्त राशि जोड़ने से कुल निवेश में वृद्धि होगी। 
राज्य सरकार का कहना है कि यह निवेश लंबी अवधि में इंदौर के नागरिकों और शहर की संरचना के लिए फ़ायदेमंद साबित होगा। भूमिगत स्टेशन और मार्ग से शहरी इलाकों की समग्र सौंदर्यात्मक और कार्यात्मक गुणवत्ता बढ़ेगी, जबकि बाजारों, कार्यालयों और आवासीय इलाकों में व्यवधान कम होगा।
परियोजना की स्थिति और आगे की राह
इंदौर मेट्रो परियोजना 2019 से निर्माणाधीन है और शहर में इसका उद्देश्य यातायात के दबाव को कम करना तथा आधुनिक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली तैयार करना है। कुल प्रणाली का लंबाई लगभग 31.32 किमी की अनुमानित है, जिसमें विभिन्न रूट और स्टेशन शामिल हैं। 
इस बदलाव के साथ, खजराना चौक से रेलवे स्टेशन तक का भाग भूमिगत होगा, लेकिन बाकी मेट्रो लाइन अभी भी मुख्यतः उत्थान/एलिवेटेड ढांचे के रूप में ही बिछाई जाएगी। अधिकारियों ने कहा है कि भूमिगत निर्माण तकनीकी रूप से अधिक समय और संसाधन ले सकता है, जिससे परियोजना की पूर्ति में कुछ समय-सारिणी प्रभाव भी पड़ सकता है। हालांकि, सरकार का दावा है कि इससे सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। 
नागरिक प्रतिक्रिया और चुनौतियाँ
इस बदलाव पर आम जनता और व्यापारिक संगठनों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। कुछ स्थानीय व्यवसायियों ने कहा है कि भूमिगत मेट्रो निर्माण से सड़क पर व्यस्तता कम होगी और जनता को सुविधा होगी, जबकि कुछ ने चिंताएँ जताई हैं कि काम के दौरान निर्माणाधीन गतिविधियों से व्यापार प्रभावित हो सकता है। वहीं, यात्री उपयोगकर्ताओं का मानना है कि भूमिगत मेट्रो से शहर की भीड़भाड़ और ट्रैफ़िक जाम में कमी आएगी, जो आने वाले वर्षों में दैनिक जीवन को आसान बनाएगा। 
एक ओर जहां भूमिगत कॉरिडोर का निर्माण मेट्रो की सुविधा और सुगम उपयोग को बढ़ाएगा, वहीं इसके निर्माण में इंजीनियरिंग जटिलता, भूमि स्वामित्व और भूमिगत ढांचे में सुरक्षा मानकों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार भूमिगत मेट्रो निर्माण में अच्छा वेंटिलेशन, जल निकासी और आपातकालीन निकास जैसी व्यवस्थाओं को भी सुनिश्चित करना पड़ता है, जिससे लागत और समय दोनों प्रभावित होते हैं।
इंदौर मेट्रो और शहर का भविष्य
इंदौर, मध्य प्रदेश का आर्थिक और व्यवसायिक केंद्र, तेजी से बढ़ रहा है। शहर में ट्रैफ़िक की समस्या, वायुमंडलीय प्रदूषण और सार्वजनिक परिवहन की परेशानी को ध्यान में रखते हुए मेट्रो परियोजना को प्राथमिकता दी गई थी। भूमिगत रूट निर्णय यह दर्शाता है कि सरकार स्थानीय उपयोगकर्ता का हित, शहरी नियोजन और दीर्घकालिक विकास को प्रधानता देती है।
इस परियोजना के पूरा होने के बाद, इंदौर का परिवहन ढांचा और जीवनशैली दोनों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, जिससे शहर के यातायात जाम में कमी और बेहतर यात्रियों की सुविधा संभव हो पाएगी।

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