एमपी में लोकायुक्त का बड़ा एक्शन: 15,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ाया 'मैनेजर'
झाँसा देकर माँगी थी घूस, सरकारी योजना का लाभ दिलाने के नाम पर किया भ्रष्ट आचरण.
Sat, 13 Dec 2025
मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान को एक और बड़ी सफलता मिली है। राज्य के [संभावित क्षेत्र जैसे: ग्रामीण विकास/सहकारिता/विद्युत विभाग] से जुड़े एक 'मैनेजर' को लोकायुक्त पुलिस (Lokayukta Police) की टीम ने 15,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई [तारीख] को [जिले का नाम] जिले के [स्थान का नाम] में की गई, जिसने सरकारी महकमों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या था पूरा मामला?
पीड़ित [शिकायतकर्ता का नाम], जो कि [शिकायतकर्ता के बारे में संक्षिप्त जानकारी जैसे: किसान/मजदूर/व्यवसायी] हैं, ने लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक (SP) से शिकायत की थी कि [गिरफ्तार मैनेजर का नाम], जो [विभाग/योजना] में मैनेजर के पद पर कार्यरत है, उनसे एक सरकारी कार्य के बदले में रिश्वत की मांग कर रहा है।
शिकायतकर्ता के अनुसार, उन्होंने [सरकारी कार्य/योजना का नाम, जैसे: प्रधानमंत्री आवास योजना, किसान ऋण माफी, या बिजली कनेक्शन] का लाभ लेने या उससे संबंधित एक आवश्यक कार्य करवाने के लिए मैनेजर से संपर्क किया था। मैनेजर ने इस काम को 'आसानी से और जल्दी' पूरा करने के लिए उनसे 20,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। काफी मान-मनौवल के बाद यह राशि 15,000 रुपये पर तय हुई थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि कार्य के बदले में अवैध तरीके से पैसों की मांग किए जाने से वे बेहद परेशान थे, जिसके बाद उन्होंने भ्रष्टाचार को उजागर करने का फैसला किया।
लोकायुक्त ने ऐसे बिछाया जाल
शिकायत मिलने के तुरंत बाद, लोकायुक्त पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक गोपनीय जाल बिछाया। पूरी योजना को गुप्त रखा गया ताकि आरोपी को किसी भी तरह से शक न हो।
[तारीख] की सुबह, शिकायतकर्ता को रसायन लगे हुए नोटों के साथ मैनेजर के पास भेजा गया। जैसे ही शिकायतकर्ता ने [निर्धारित स्थान जैसे: मैनेजर का दफ्तर, या कोई सार्वजनिक स्थान] पर मैनेजर को 15,000 रुपये की राशि सौंपी, पास में ही सादी वर्दी में तैनात लोकायुक्त टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मैनेजर को रंगे हाथ दबोच लिया।
टीम ने मैनेजर के हाथों को धुलवाया, जिससे नोटों पर लगा रसायन पानी में मिल गया और रंग बदल गया, जो रिश्वत लेने का ठोस प्रमाण था। इस दौरान मैनेजर ने भागने या विरोध करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस टीम की मुस्तैदी के आगे उसकी एक न चली।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज
गिरफ्तारी के बाद, आरोपी मैनेजर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। लोकायुक्त पुलिस अब उसके कार्यालय और घर से संबंधित दस्तावेजों और संपत्तियों की जाँच करेगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या वह लंबे समय से इस तरह की गतिविधियों में लिप्त था।
लोकायुक्त डीएसपी [डीएसपी का नाम, यदि पता हो] ने मीडिया को बताया, "हमारी टीम ने पूरी ईमानदारी और गोपनीयता के साथ इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। यह स्पष्ट संदेश है कि मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमारी अपील है कि आम नागरिक भी बिना डरे सामने आएं और सरकारी कर्मचारियों द्वारा रिश्वत मांगने पर तुरंत शिकायत करें।"
सरकारी विभागों में बढ़ते भ्रष्टाचार पर चिंता
यह घटना एक बार फिर सरकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुँचाने वाले कर्मचारियों की नैतिकता पर सवाल उठाती है। एक ओर सरकारें पारदर्शिता और 'जीरो टॉलरेंस' की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर निचले स्तर के कर्मचारियों द्वारा इस तरह के भ्रष्ट आचरण से आम आदमी को भारी परेशानी उठानी पड़ती है।
जानकारों का कहना है कि इस तरह की सख्त कार्रवाई भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद करती है और अन्य कर्मचारियों को भी ईमानदारी से काम करने की प्रेरणा देती है। लोकायुक्त की इस कार्रवाई को जनता ने सराहनीय कदम बताया है और उम्मीद जताई है कि प्रदेश में ऐसी कार्रवाइयाँ लगातार जारी रहेंगी।
फिलहाल, आरोपी मैनेजर को न्यायालय में पेश करने की तैयारी चल रही है, जहाँ से उसे न्यायिक हिरासत में भेजा जा सकता है।
