मनमाड़-इंदौर रेल परियोजना: 943 किसानों की जमीन अधिग्रहीत, धार जिले में अटके काम से परियोजना में देरी का खतरा
महू तहसील के 18 गांवों में अधिग्रहण पूरा; संघर्ष समिति ने उठाई आवाज, रेलवे बोर्ड और जिला प्रशासन से तत्काल संयुक्त बैठक की मांग
Fri, 12 Dec 2025
Indore Manmad Rail Line Update: मनमाड़-इंदौर रेल परियोजना (Manmad-Indore Rail Project) देश के मध्य और पश्चिमी हिस्सों को जोड़ने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय परिवहन और आर्थिक विकास को गति देना है। इस महत्वाकांक्षी रेल लाइन के लिए मध्य प्रदेश में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अब निर्णायक चरण में पहुंच गई है, लेकिन इस प्रक्रिया में एक बड़ी अड़चन भी सामने आई है। रेल मार्ग का सीधा संबंध महाराष्ट्र के मनमाड़ से मध्य प्रदेश के आंबेडकर नगर (महू) स्टेशन तक होगा। परियोजना को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने के प्रयासों के बीच, इंदौर जिले में अधिग्रहण का कार्य युद्धस्तर पर पूरा किया गया है, जबकि धार जिले में लंबित प्रक्रिया ने रेलवे संघर्ष समिति और स्थानीय किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है।
इंदौर जिले में 943 किसानों की भूमि का अधिग्रहण पूरा
परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी दर्ज की गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इंदौर जिले की महू तहसील के अंतर्गत आने वाले 18 गांवों में कुल 943 किसानों की भूमि को परियोजना के लिए अधिग्रहीत किया जा चुका है। यह अधिग्रहण प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हो गई है, जिससे इस क्षेत्र में रेल लाइन बिछाने का रास्ता साफ हो गया है।
भूमि अधिग्रहण की औपचारिक शुरुआत आंबेडकर नगर तहसील के खेड़ी इस्तमुरार गांव से की गई थी। अधिकारियों ने बताया कि यह महत्वपूर्ण रेल मार्ग महाराष्ट्र से सीधे आंबेडकर नगर स्टेशन को जोड़ेगा, जिससे न केवल माल ढुलाई, बल्कि व्यापार, पर्यटन और स्थानीय आवागमन को भी एक नई रफ्तार मिलेगी। परियोजना के इस हिस्से में तेजी से हुई कार्रवाई ने उम्मीद जगाई है कि जल्द ही निर्माण कार्य शुरू किया जा सकेगा और महू-इंदौर क्षेत्र में रेलवे कनेक्टिविटी का विस्तार होगा।
धार जिले में अधिग्रहण लंबित, परियोजना पर संकट
हालांकि, इंदौर जिले की सफलता के बावजूद, परियोजना के एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्से, धार जिले में जमीन अधिग्रहण का कार्य अभी भी अधूरा पड़ा है। इस अनावश्यक देरी के कारण पूरी परियोजना की प्रगति पर नकारात्मक असर पड़ रहा है, जिससे निर्धारित समय पर परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य खतरे में पड़ गया है।
दूसरी ओर, संघर्ष समिति के प्रमुख मनोज मराठे ने बताया कि बड़वानी जिले के सेंधवा क्षेत्र में अधिग्रहण प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है, जो एक सकारात्मक संकेत है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, सेंधवा में अधिग्रहीत भूमि से संबंधित फाइल को ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कसरावद प्रशासन के पास भेज दिया गया है। एक बार ड्राफ्ट को अनुमोदन मिलने के बाद, सेंधवा की अंतिम अधिग्रहण सूची भी जारी कर दी जाएगी। इस तरह, बड़वानी का काम भी लगभग अंतिम चरण में है, लेकिन धार का काम अधर में लटका हुआ है।
संघर्ष समिति ने रेलवे बोर्ड और प्रशासन से की मुलाकात
धार जिले में हो रही इस अनावश्यक देरी को लेकर रेलवे संघर्ष समिति और प्रभावित किसान संगठन अत्यधिक चिंतित हैं। उनका मानना है कि यह विलंब न केवल किसानों के हितों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय महत्व की परियोजना के क्रियान्वयन में भी बाधा डाल रहा है।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए, संघर्ष समिति के प्रमुख मनोज मराठे ने इंदौर पहुंचकर रेलवे संघर्ष समिति के सदस्य और रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य नागेश नामजोशी के साथ विस्तृत चर्चा की। मराठे और नामजोशी ने संयुक्त रूप से यह मांग रखी कि धार जिले में लंबित अधिग्रहण प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा कराने के लिए विभागीय स्तर पर तत्काल ठोस कदम उठाए जाएं। उनका स्पष्ट मत था कि इस महत्वपूर्ण परियोजना में किसी भी तरह का विलंब स्वीकार्य नहीं है।
कमिश्नर के साथ संयुक्त बैठक की योजना
समिति ने अब इस समस्या का समाधान उच्च स्तर पर खोजने का फैसला किया है। मनोज मराठे ने जानकारी दी कि वे कमिश्नर से समय लेकर धार जिला प्रशासन, रेलवे बोर्ड और पश्चिम रेलवे के अधिकारियों के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य संबंधित विभागों के बीच समन्वय स्थापित करना और धार जिले के किसानों की समस्याओं को समझते हुए अधिग्रहण प्रक्रिया में आई सुस्ती को तत्काल दूर करना है।
मराठे ने जोर देकर कहा कि "यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो परियोजना की शुरुआत में अनावश्यक विलंब हो सकता है।" उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अधिग्रहण कार्य में और देरी हुई तो इसकी लागत में भी वृद्धि हो सकती है और क्षेत्रीय विकास पर पड़ने वाला इसका सकारात्मक प्रभाव भी टल जाएगा। अतः समिति का यह प्रयास है कि सभी प्रभावित जिलों, विशेषकर धार में, अधिग्रहण कार्य बिना किसी बाधा के और शीघ्रता से पूरा हो, ताकि मनमाड़-इंदौर रेल परियोजना समय पर धरातल पर उतर सके और व्यापक जनहित को लाभ पहुंचा सके। यह रेल लाइन मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच एक मजबूत आर्थिक गलियारे का निर्माण करेगी, जिसका सीधा लाभ हजारों किसानों, व्यापारियों और यात्रियों को मिलेगा। समिति ने उम्मीद जताई है कि प्रशासन और रेलवे बोर्ड जल्द ही उनकी मांगों पर ध्यान देंगे और लंबित कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करेंगे।
