मॉडिफाइड बसें बन रहीं हादसों की वजह, इमरजेंसी गेट पर बनाई सीटें; छत और केबिन में भरते हैं सामान

हाल ही में राजस्थान, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के शिवपुरी में बसों में लगी आग की घटनाओं ने यात्रियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
 
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हाल ही में राजस्थान, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के शिवपुरी में बसों में लगी आग की घटनाओं ने यात्रियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन हादसों की जांच में सामने यह आया है कि अधिकतर बसें मॉडिफाइड (परिवर्तित संरचना वाली) थीं। पुराने चेचिस को जोड़-तोड़कर बस को नया रूप दिया गया। मध्यप्रदेश में भी बड़े पैमाने पर नई बसों के चेचिस के साथ बसों को मॉडिफाइड करने का काम होता है।
परिवहन विभाग की जांच के बावजूद कई बसें बिना सेफ्टी के सड़कों पर दौड़ रही हैं। खासकर निजी एसी और स्लीपर बसों में नियमों की सबसे ज्यादा अनदेखी हो रही है। अधिकांश बसों को मॉडिफाइड कर आपातकालीन द्वारों को बंद कर वहां सीटें लगा दी गईं। कई बसों में दोनों तरफ आपात द्वार ही नहीं हैं, जिससे आग या दुर्घटना की स्थिति में यात्रियों के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है।
प्रदेश के कई रूटों पर चलने वाली बसों में छत और नीचे के केबिन में माल भी भरा जाता है। इससे बस का संतुलन बिगड़ जाता है और दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है।
नियमों के अनुसार यात्री बसों में माल ढुलाई प्रतिबंधित है, लेकिन जांच के अभाव में यह प्रथा जारी है। एसी बसों में बढ़ी हुई लाइटिंग और पुराने वायरिंग सिस्टम हादसों की बड़ी वजह हैं। मॉडिफाइड बसों में पुरानी वायरिंग को रिपेयर कर लगा दिया जाता है। पुराने लूम बदलते नहीं हैं। इससे शार्ट सर्किट से आग लगने पर बस जलकर खाक हो जाती है।

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