विवादों में घिरे IAS संतोष वर्मा पर MP सरकार का 'सर्जिकल स्ट्राइक': पद से हटाकर बर्खास्तगी की तैयारी, केंद्र को भेजा गया प्रस्ताव

फर्जी प्रमोशन, अभद्र बयानबाजी और कोर्ट केस बने कार्रवाई का आधार; CM मोहन यादव ने दिए सख्त एक्शन के निर्देश
 
Varma
मध्य प्रदेश सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाते हुए विवादित आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा पर सख्त कार्रवाई की है। उन्हें उनके वर्तमान पद से हटाकर बिना किसी कार्य के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) के पूल में अटैच कर दिया गया है। इसके साथ ही, राज्य सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह बड़ा एक्शन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सख्त निर्देशों के बाद लिया गया है, जो अधिकारी के लगातार विवादित बयानों और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पदोन्नति के गंभीर आरोपों से उपजे हैं।
​  कार्रवाई के मुख्य आधार और कारण
​IAS संतोष वर्मा पर यह बड़ी कार्रवाई कई गंभीर आरोपों पर आधारित है, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
​फर्जी दस्तावेज़ों पर पदोन्नति:
​सरकार ने यह माना है कि संतोष वर्मा को राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस संवर्ग में मिली पदोन्नति फर्जी और जाली आदेशों पर आधारित है।
​आरोप है कि उन्होंने जाली दस्तावेज़ों के आधार पर सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र (Integrity Certificate) प्राप्त किया था।
​धोखाधड़ी के आधार पर मिली आईएएस पदोन्नति को अवैध मानते हुए उनकी बर्खास्तगी का प्रस्ताव तत्काल केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है।
​इस मामले में विभागीय जांच अंतिम चरण में है।
​लगातार विवादित और अशोभनीय बयान:
​वर्मा द्वारा हाल ही में आरक्षण और ब्राह्मण समुदाय की बेटियों को लेकर दिए गए बयान पर तीखा विवाद खड़ा हो गया था।
​सरकार ने पाया कि कारण बताओ नोटिस (Show-Cause Notice) मिलने के बाद भी वर्मा द्वारा लगातार 'मर्यादा विहीन वक्तव्य' दिए जा रहे थे, जो सेवा आचरण नियमों का गंभीर उल्लंघन है।
​उनके बयानों को सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने वाला और समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने वाला माना गया है।
​आपराधिक मामले और जांच:
​विभिन्न न्यायालयों में उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण लंबित हैं।
​जाली दस्तावेज़ों के उपयोग से जुड़े पुराने मामलों में भी उनकी संलिप्तता सामने आई थी, जिसके कारण उन पर पहले भी कार्रवाई हो चुकी है।
​ CM मोहन यादव का कड़ा रुख और प्रशासनिक निर्णय
​मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस पूरे मामले को गंभीरता से संज्ञान में लिया। उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) को तत्काल और सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
​पद से हटाया: संतोष वर्मा को तत्काल प्रभाव से उप सचिव, कृषि विभाग के पद से हटा दिया गया है।
​GAD पूल में अटैच: उन्हें बिना किसी विभाग या कार्य के GAD पूल में अटैच किया गया है, जिसका मतलब है कि फिलहाल उनके पास कोई प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं है।
​बर्खास्तगी का प्रस्ताव: उनकी फर्जी पदोन्नति को आधार बनाते हुए आईएएस सेवा से बर्खास्तगी का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है। (IAS अधिकारियों को बर्खास्त करने का अंतिम अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी से लागू किया जाता है)।
​चार्जशीट जारी: उनके लगातार अभद्र बयानों के चलते उन्हें चार्जशीट जारी करने का निर्णय भी लिया गया है।
​पदोन्नति से अयोग्य घोषित: विभागीय पदोन्नति समिति ने भी उन्हें अपर सचिव पद पर होने वाली पदोन्नति से अयोग्य घोषित कर दिया है।
​ आगामी कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया
​राज्य सरकार ने अपनी ओर से कार्रवाई पूरी कर ली है। अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में है। IAS अधिकारियों की बर्खास्तगी के लिए अंतिम निर्णय केंद्र सरकार (Department of Personnel & Training - DoPT) लेती है। मध्य प्रदेश सरकार के प्रस्ताव के बाद, केंद्र सरकार की एक समिति मामले की समीक्षा करेगी और अंतिम निर्णय के लिए इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
​यह कार्रवाई मध्य प्रदेश में प्रशासनिक अनुशासन और पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार का एक बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है।

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