मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’: लोकायुक्त ने एक ही दिन में 5 रिश्वतखोरों को रंगे हाथों दबोचा

​विदिशा से लेकर बालाघाट तक, इंजीनियर, लेखापाल और बाबू सहित 5 सरकारी कर्मचारी पकड़े गए; लाखों की रिश्वत का खुलासा.
 
​Public Servant / Government Official
मध्य प्रदेश में लोकायुक्त पुलिस ने 11 दिसंबर 2025, गुरुवार को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी और ताबड़तोड़ कार्रवाई को अंजाम दिया। राज्य के अलग-अलग पाँच जिलों—विदिशा, शिवपुरी, नरसिंहपुर, बालाघाट और झाबुआ—में छापामार कार्रवाई करते हुए लोकायुक्त की टीम ने एक ही दिन में पाँच सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर आगे की वैधानिक कार्रवाई शुरू कर दी गई है। लोकायुक्त की इस व्यापक कार्रवाई ने प्रदेशभर के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच हड़कंप मचा दिया है।
​30,000 रुपये की रिश्वत लेते धराया उपयंत्री
​लोकायुक्त की सबसे बड़ी कार्रवाई विदिशा जिले के लटेरी में हुई, जहाँ जनपद पंचायत में पदस्थ उपयंत्री रामगोपाल यादव को भोपाल लोकायुक्त की टीम ने 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। शिकायतकर्ता कन्हैया लाल शर्मा ने बताया था कि ग्राम पंचायत धीरगढ़ में सीसी सड़क निर्माण कार्य के मूल्यांकन (measurement) के एवज में उपयंत्री यादव 40 हजार रुपये की मांग कर रहे थे। लोकायुक्त ने शिकायत की पुष्टि के बाद जाल बिछाया और आरोपी को 30 हजार रुपये लेते हुए गिरफ्तार कर लिया।
​जनजातीय विभाग का लेखापाल 14,500 रुपये के साथ गिरफ्तार
​इंदौर लोकायुक्त की टीम ने झाबुआ जिले में जनजातीय विभाग में पदस्थ लेखापाल जाम सिंह अमलियार को 14,500 रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। लेखापाल अमलियार ने शासकीय माध्यमिक विद्यालय के माध्यमिक शिक्षक शांतिलाल से भाई-भतीजावाद के आरोपों के संबंध में जारी कारण बताओ नोटिस का निपटारा कराने के एवज में 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। शिकायत के बाद लोकायुक्त ने लेखापाल को रिश्वत लेते रंगे हाथों धर दबोचा।
​शिवपुरी अपर कलेक्टर कार्यालय का स्टेनो भी फंसा
​शिवपुरी में लोकायुक्त ग्वालियर की टीम ने अपर कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ स्टेनो मोनू शर्मा को 5 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। रन्नौद तहसील के एक युवक ध्यानेन्द्र सिंह पडरया ने शिकायत की थी कि स्टेनो मोनू शर्मा उसके पिता के हट चुके नाम को शासकीय रिकॉर्ड में फिर से जोड़ने के लिए 20 हजार रुपये की मांग कर रहा था। आरोपी पहले ही 15 हजार रुपये ले चुका था, जिसके बाद शेष 5 हजार रुपये लेते हुए लोकायुक्त ने उसे पकड़ लिया।
​नरसिंहपुर और बालाघाट में 3-3 हजार की रिश्वत लेते बाबू पकड़े गए
​भ्रष्टाचार विरोधी यह अभियान नरसिंहपुर और बालाघाट जिलों तक भी फैला। नरसिंहपुर में जबलपुर लोकायुक्त टीम ने सहकारिता निरीक्षक (Cooperative Inspector) संजय दुबे को 3 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। समिति प्रबंधक देवी प्रसाद तिवारी ने शिकायत की थी कि निरीक्षक दुबे उनके अक्टूबर और नवंबर महीने का वेतन जारी करने के लिए रिश्वत की मांग कर रहे थे।
​वहीं बालाघाट जिले की बिरसा तहसील में तहसील कार्यालय के बाबू राजकुमार रामटेके को भी जबलपुर लोकायुक्त टीम ने 3 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। बाबू राजकुमार रामटेके, शिकायतकर्ता संतोष ढेकवार से एक फर्जी भूमि विक्रय मामले को खत्म कराने के एवज में 5 हजार रुपये की मांग कर रहा था, जिसमें से 3 हजार रुपये लेते हुए उसे पकड़ा गया।
​इस प्रकार, एक ही दिन में पाँच अलग-अलग जिलों में लोकायुक्त द्वारा की गई ये कार्रवाई मध्य प्रदेश में व्याप्त छोटे और बड़े दोनों स्तर के भ्रष्टाचार पर एक बड़ा प्रहार मानी जा रही है। लोकायुक्त अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यह अभियान आगे भी इसी गति से जारी रहेगा।

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