IIT पास छात्रा ने गंगा नदी में लगाई छलांग: UPSC की असफलता से टूटा हौसला, कानपुर में दर्दनाक घटना
कानपुर में सुबह की सैर बनी हादसा, IIT ग्रेजुएट ने दी जान.
Mon, 3 Nov 2025
कानपुर से एक दर्दनाक खबर सामने आई है, जहां मार्निंग वॉक पर निकली एक 26 वर्षीय छात्रा ने अचानक गंगा नदी में छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। मृतका का नाम ललिता बताया जा रहा है, जो उत्तर प्रदेश के बिजनौर की रहने वाली थी। वह IIT कानपुर से बी.टेक पास कर चुकी थीं और इन दिनों UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) की परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। बताया जा रहा है कि लगातार असफलता से मानसिक रूप से टूटकर उन्होंने यह कदम उठाया।
घटना की जानकारी और रेस्क्यू ऑपरेशन
घटना सोमवार सुबह करीब 6 बजे की बताई जा रही है। ललिता रोजाना की तरह कानपुर के जाजमऊ घाट के पास मार्निंग वॉक पर गई थीं। वहां मौजूद लोगों ने देखा कि वह कुछ देर तक घाट किनारे बैठी रहीं और अचानक गंगा नदी में कूद गईं। स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद NDRF और गोताखोरों की टीम ने मौके पर पहुंचकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। कुछ घंटों की मशक्कत के बाद छात्रा का शव नदी से बरामद किया गया।
IIT पास और UPSC की तैयारी कर रही थीं ललिता
जानकारी के अनुसार, ललिता ने कानपुर IIT से बी.टेक की पढ़ाई पूरी की थी। वह बेहद प्रतिभाशाली छात्रा थीं और अपने परिवार की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहती थीं। बी.टेक के बाद उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की थी, लेकिन लगातार दो प्रयासों में सफलता नहीं मिली। बताया जा रहा है कि इस असफलता से वह काफी निराश थीं और पिछले कुछ दिनों से खुद में गुम रहने लगी थीं।
परिवार में मचा कोहराम, दोस्तों ने बताई आखिरी बातचीत
ललिता के परिवार को जब हादसे की सूचना मिली तो घर में कोहराम मच गया। उनके पिता बिजनौर में एक छोटे व्यापारी हैं। परिवार के अनुसार, ललिता पिछले कुछ महीनों से मानसिक दबाव में थीं। वहीं, दोस्तों ने बताया कि उन्होंने रविवार रात फोन पर बातचीत के दौरान कहा था — “शायद मैं इस बार भी सफल नहीं हो पाऊंगी।” यह उनकी आखिरी बातचीत थी।
पुलिस जांच में डिप्रेशन की आशंका
पुलिस ने मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं किया है, लेकिन प्रारंभिक जांच में डिप्रेशन के कारण आत्महत्या की संभावना जताई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि “छात्रा अपने करियर और असफलताओं को लेकर तनाव में थी।” फिलहाल शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और परिवार से पूछताछ की जा रही है।
UPSC की असफलता ने छीनी जिंदगी
ललिता की कहानी उन हजारों युवाओं के लिए एक चेतावनी है जो प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के दबाव में जी रहे हैं। UPSC जैसी कठिन परीक्षा में असफलता कोई अंत नहीं, बल्कि सुधार का अवसर होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभ्यर्थियों को मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए और परिवारों को भी बच्चों पर अनावश्यक दबाव नहीं डालना चाहिए।
कानपुर की यह घटना फिर से यह सोचने पर मजबूर करती है कि शिक्षा और प्रतियोगिता के बढ़ते दबाव के बीच युवा मानसिक रूप से कितना संघर्ष कर रहे हैं। ललिता जैसी प्रतिभाशाली छात्रा का यूं दुनिया छोड़ देना न केवल दुखद है बल्कि समाज के लिए एक गंभीर संदेश भी है — सफलता से पहले जीवन ज़रूरी है।
