भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की बढ़ती संख्या: कारण और चिंताएँ

पिछले साल 9 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता, हर साल 2 लाख लोग जा रहे देश से बाहर – क्या है बड़ी वजह?
 
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रिकॉर्ड तोड़ पलायन: एक साल में 9 लाख ने लिया विदेशी पासपोर्ट
​सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक वर्ष में लगभग 9 लाख भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता का त्याग कर दिया है और एक विदेशी पासपोर्ट प्राप्त कर लिया है। यह संख्या पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, हर साल औसतन 2,00,000 (दो लाख) लोग देश छोड़ रहे हैं। यह रिकॉर्ड तोड़ आंकड़ा कई तरह के सवाल खड़े करता है, खासकर जब देश की अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ती हुई बताया जा रहा है। बड़ी संख्या में भारतीयों का, जिनमें पेशेवर, छात्र और उच्च-निवल मूल्य वाले व्यक्ति (HNIs) शामिल हैं, देश छोड़कर जाना चिंता का विषय है।
​बेहतर जीवन, बेहतर अवसर: विदेश जाने के 'पुल' फैक्टर
​भारतीयों को विदेशी नागरिकता और निवास की ओर आकर्षित करने वाले कई 'पुल' फैक्टर हैं:
​उच्च जीवन स्तर और गुणवत्ता: कई विकसित देशों में बेहतर बुनियादी ढाँचा, स्वच्छ हवा/पानी, उन्नत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और बेहतर सामाजिक सुरक्षा भारतीयों को आकर्षित करती है।
​बेहतर नौकरी और वेतन: विदेशों में उच्च वेतन वाली नौकरियों और करियर में उन्नति के अधिक अवसर मिलना एक प्रमुख कारण है। युवा भारतीय पेशेवर, विशेषकर प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के क्षेत्र में, वहाँ अधिक योग्यता-आधारित संस्कृति और बेहतर कार्य-जीवन संतुलन पाते हैं।
​शैक्षिक अवसर: विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों तक पहुँच, साथ ही पढ़ाई पूरी करने के बाद स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर, छात्रों को विदेश जाने के लिए प्रेरित करते हैं।
​वीज़ा-मुक्त यात्रा (गतिशीलता): एक शक्तिशाली विदेशी पासपोर्ट (जैसे अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया का) कई देशों में वीज़ा-मुक्त या वीज़ा-ऑन-अराइवल की सुविधा देता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, यात्रा और व्यक्तिगत गतिशीलता आसान हो जाती है।
​देश छोड़ने के 'पुश' फैक्टर: भारत में कौन सी कमियां कर रही हैं मजबूर?
​विदेशों में आकर्षण के अलावा, भारत में कुछ ऐसे कारक हैं जो नागरिकों को देश छोड़ने के लिए 'पुश' (धक्का) कर रहे हैं:
​बुनियादी ढांचे की कमी: कई शहरों में खराब नागरिक सुविधाएँ, अत्यधिक प्रदूषण, भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थान और यातायात जाम जीवन की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।
​सरकारी और प्रशासनिक चुनौतियाँ: भ्रष्टाचार, अत्यधिक नौकरशाही और एक धीमी कानूनी प्रणाली नागरिकों में निराशा पैदा करती है।
​कर और वित्तीय जटिलताएँ: कुछ HNIs और अमीर भारतीय जटिल कर संरचना और उच्च संपत्ति/विरासत कर से बचने के लिए अपनी नागरिकता बदल रहे हैं, ताकि अपने धन का अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधन कर सकें।
​सामाजिक/राजनीतिक माहौल: कुछ लोगों को देश में राजनीतिक ध्रुवीकरण, सामाजिक असुरक्षा (विशेषकर महिलाओं के लिए) और व्यक्तिगत स्वतंत्रता में कमी महसूस होती है, जिससे वे एक गैर-निर्णयात्मक (non-judgemental) और सुरक्षित समाज की तलाश करते हैं।
​सीमित अनुसंधान और विकास: कई प्रतिभाशाली छात्रों और शोधकर्ताओं को भारत में अपने क्षेत्र में पर्याप्त प्रगति और निवेश की कमी महसूस होती है, जिसके चलते वे विदेश में बेहतर सुविधाएं पाते हैं।
​उच्च शिक्षा, कर और गतिशीलता: HNIs के पलायन के मुख्य कारण
​उच्च-निवल मूल्य वाले व्यक्तियों (HNIs) के लिए, नागरिकता त्यागने के कारण अक्सर विशिष्ट होते हैं:
​धन का ढाँचाकरण: वे वैश्विक कर अनुकूलन, एस्टेट प्लानिंग और विभिन्न देशों में अनुकूल वित्तीय व्यवस्थाओं तक पहुँचने के लिए विदेशी नागरिकता का उपयोग करते हैं।
​जोखिम प्रबंधन: कुछ अमीर भारतीय घरेलू अस्थिरता (आर्थिक या राजनीतिक), नीतिगत बदलावों या भू-राजनीतिक उथल-पुथल के खिलाफ एक तरह की 'बीमा पॉलिसी' के रूप में विदेशी पासपोर्ट को देखते हैं।
​पारिवारिक विरासत: बच्चों के लिए सर्वोत्तम शिक्षा, विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा, और संपत्ति के सीमा पार उत्तराधिकार (cross-border succession) की योजना HNIs के लिए महत्वपूर्ण प्रेरणाएँ हैं।
​यह रुझान भारत के लिए एक गंभीर 'ब्रेन ड्रेन' (प्रतिभा पलायन) का संकेत देता है, जहाँ देश अपने सबसे उज्ज्वल और सफल नागरिकों को खो रहा है। अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे ओईसीडी (OECD) देश इन भारतीय प्रवासियों के लिए शीर्ष गंतव्य बने हुए हैं।

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