गर्मियों में गन्ने की खेती से बढ़ेगी पैदावार: फरवरी से मई तक बुवाई क्यों है सबसे बेहतर?
गन्ना (Sugarcane) की खेती गर्मियों में फरवरी से मई तक क्यों की जाती है? जानें गन्ने की बुवाई का सही समय, उन्नत किस्में, सिंचाई, खाद और अधिक उत्पादन के उपाय।
Tue, 23 Dec 2025
Sugarcane Farming in Hindi: भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां गन्ना (Sugarcane) एक प्रमुख नकदी फसल मानी जाती है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार और पंजाब जैसे राज्यों में गन्ने की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। गन्ना न केवल चीनी उद्योग की रीढ़ है, बल्कि इससे गुड़, खांडसारी, इथेनॉल और पशु आहार जैसे कई उत्पाद भी तैयार किए जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार गन्ने की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय फरवरी से मई तक माना जाता है, जिसे गर्मी कालीन बुवाई कहा जाता है।
क्यों जरूरी है गर्मियों में गन्ने की बुवाई?
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्मियों में बोया गया गन्ना अधिक अंकुरण क्षमता, मजबूत जड़ प्रणाली और बेहतर उत्पादन देता है। इस दौरान तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो गन्ने की शुरुआती बढ़वार के लिए अनुकूल माना जाता है। साथ ही फरवरी-मार्च में बोए गए गन्ने को लंबा विकास काल मिलता है, जिससे पैदावार में वृद्धि होती है।
भूमि की तैयारी कैसे करें?
गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए खेत की तैयारी सबसे अहम चरण है।
सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें।
इसके बाद 2-3 बार हैरो या कल्टीवेटर चलाकर मिट्टी को भुरभुरी बना लें।
अंतिम जुताई के समय प्रति हेक्टेयर 20-25 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाना लाभकारी होता है।
अच्छी जल निकास व्यवस्था होना जरूरी है, क्योंकि गन्ना जलभराव सहन नहीं कर पाता।
उन्नत किस्मों का चयन है जरूरी
गन्ने की किस्म का चुनाव क्षेत्र और जलवायु के अनुसार करना चाहिए।
उत्तर भारत के लिए उपयुक्त किस्में:
Co 0238
Co 0118
CoS 8436
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के लिए:
Co 86032
CoM 0265
उन्नत किस्में रोग प्रतिरोधक होती हैं और इनमें शर्करा की मात्रा अधिक पाई जाती है।
बुवाई की सही विधि
गन्ने की बुवाई आमतौर पर सेट विधि से की जाती है।
2-3 आंख वाले स्वस्थ बीज-सेट का चयन करें।
कतार से कतार की दूरी 90 से 120 सेमी रखें।
बीज-सेट को 8-10 सेमी गहराई में बोएं।
बुवाई से पहले बीज-सेट को फफूंदनाशक या जैविक घोल (जैसे ट्राइकोडर्मा) से उपचारित करना फायदेमंद रहता है।
सिंचाई प्रबंधन
गर्मी के मौसम में सिंचाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है।
बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
गर्मियों में 7-10 दिन के अंतराल पर पानी देना आवश्यक है।
ड्रिप सिंचाई अपनाने से 30-40% तक पानी की बचत होती है और उपज भी बढ़ती है।
खाद एवं उर्वरक प्रबंधन
गन्ना पोषक तत्वों की अधिक मांग करने वाली फसल है।
प्रति हेक्टेयर 150-180 किलोग्राम नाइट्रोजन
60-80 किलोग्राम फास्फोरस
60-80 किलोग्राम पोटाश
नाइट्रोजन को 2-3 बराबर भागों में देना चाहिए। जैविक खेती करने वाले किसान वर्मी कम्पोस्ट, नीम खली और जीवामृत का उपयोग कर सकते हैं।
खरपतवार एवं रोग नियंत्रण
गन्ने की शुरुआती अवस्था में खरपतवार फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
30-45 दिन के भीतर निराई-गुड़ाई करें।
जैविक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के लिए मल्चिंग कारगर है।
गन्ने में लाल सड़न, टॉप रॉट और कीट जैसे तना छेदक का प्रकोप हो सकता है। समय-समय पर निगरानी और उचित जैविक/रासायनिक उपाय अपनाना जरूरी है।
उत्पादन और किसानों को लाभ
सही तकनीक और समय पर बुवाई से गन्ने की पैदावार 70 से 100 टन प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त की जा सकती है। वर्तमान समय में गन्ने का उचित मूल्य मिलने से किसानों की आय में भी वृद्धि हो रही है। इथेनॉल उत्पादन बढ़ने से गन्ने की मांग लगातार बनी हुई है।
