Supreme Court: अनुकंपा नियुक्ति कोई अधिकार नहीं, बड़ा पद नहीं मिलेगा
Supreme Court ने कहा अनुकंपा पर नियुक्ति कोई अधिकार नहीं है। इसका इस्तेमाल उच्च पद पाने या नियमित भर्ती को दरकिनार करने के लिए नहीं किया जा सकता।
Sun, 14 Dec 2025
Supreme Court on Compassionate Appointment: केवल संकट से उबारने का जरिया, नियमित भर्ती का विकल्प नहीं सुप्रीम कोर्ट ने अनुकंपा के आधार पर नौकरी (Compassionate Appointment) को लेकर एक बार फिर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट कर दी है। शीर्ष अदालत ने साफ शब्दों में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति कोई मौलिक या कानूनी अधिकार नहीं है, बल्कि यह केवल मृतक कर्मचारी के परिवार को अचानक आए आर्थिक संकट से उबारने का एक सीमित उपाय है। इसका उपयोग उच्च पद पाने, नियमित भर्ती प्रक्रिया को दरकिनार करने या मनचाहा पद हासिल करने के लिए नहीं किया जा सकता।
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका में यह मांग की गई थी कि मृतक कर्मचारी के आश्रित को उसकी योग्यता के आधार पर उच्च पद पर नियुक्ति दी जाए। याचिकाकर्ता का तर्क था कि वह शैक्षणिक रूप से योग्य है, इसलिए उसे निचले पद की बजाय बड़े पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि:
अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य केवल परिवार को आर्थिक संकट से बाहर निकालना है
यह नियुक्ति नियमित भर्ती या प्रमोशन का विकल्प नहीं हो सकती
आश्रित को योग्यता के आधार पर उच्च पद मांगने का कोई अधिकार नहीं है
सरकार या विभाग की नीति के अनुसार ही नियुक्ति दी जा सकती है
अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर मृतक कर्मचारी के परिवार की तत्काल आर्थिक जरूरत पूरी हो चुकी है, तो अनुकंपा नियुक्ति का कोई औचित्य नहीं रह जाता।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा:
> “Compassionate appointment is an exception to the general rule of recruitment and cannot be claimed as a matter of right.”
अर्थात, अनुकंपा नियुक्ति सामान्य भर्ती नियमों से एक अपवाद है, न कि स्थायी अधिकार।
पहले भी आ चुके हैं ऐसे फैसले
यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सख्ती दिखाई हो। इससे पहले भी कई मामलों में कोर्ट यह कह चुकी है कि:
अनुकंपा नियुक्ति वंशानुगत रोजगार (Hereditary Employment) नहीं है
इसका उद्देश्य रोजगार देना नहीं बल्कि संकट से राहत देना है
वर्षों बाद की गई मांगें स्वीकार्य नहीं होतीं
सरकारी कर्मचारियों के लिए क्या मतलब?
इस फैसले से केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के परिवारों को यह स्पष्ट संदेश मिला है कि:
अनुकंपा नियुक्ति सीमित दायरे में ही मिलेगी
उच्च पद या मनपसंद विभाग की मांग नहीं की जा सकती
नियुक्ति तुरंत जरूरत और नीति की शर्तों पर निर्भर करेगी
क्यों है यह फैसला अहम?
✔ सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता बनी रहे
✔ नियमित भर्ती प्रक्रिया प्रभावित न हो
✔ अनुकंपा नीति का दुरुपयोग रोका जा सके
✔ वास्तविक जरूरतमंद परिवारों को ही लाभ मिले
