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- पन्ना जिले अजयपाल...
पन्ना जिले अजयपाल महाराज के भक्तों को हुए दर्शन,साल में सिर्फ 48 घण्टे के लिए खुलते है पट,यहां मन्नत मांगने इंसानों के साथ साथ पशु भी होते है निरोगी
पन्ना-हीरों झीलों और मंदिरों के नाम से विश्वविख्यात मध्य प्रदेश के पन्ना में बड़े ही ऐतिहासिक और पौराणिक धार्मिक स्थल मौजूद हैं।जिनका अपने आप मे एक बड़ा महत्व है।

हम बात कर रहे पन्ना जिले अजयगढ़ में स्तिथ अजयपाल बाबा के मंदिर की।जहां सिर्फ मकरसंक्रांति के दिन ही मंदिर के पट खुलते है।और भक्तों को 48 घंटे ही दर्शन मिलते हैं।मान्यता है कि यहां पर भगवान अजयपाल बाबा के दर्शन करने से परिवार में सुख शांति सम्रद्धि रहती है।और इंसानों के साथ साथ पशुओं के लिए भी लोग यहां मन्नते मांगने के लिए आते हैं।
जानकारी के अनुसार पन्ना जिले में मकरसंक्रांति के पावन पर्व को मनाने के लिए कई जगहों पर मेला का आयोजन किया गया।लेकिन पन्ना जिले के अजयगढ़ में स्तिथ अजयपाल किले के मंदिर का महत्व भक्तों के बीच अलग ही है।यहां भक्तों को साल भर में सिर्फ एक बार दर्शन होते हैं।मकरसंक्रांति के दिन से 48 घंटे के लिए मंदिर के पट खुलते है।जहां दर्शन करने एवं पहाड़ी में स्तिथ मंदिर के समीप तालाब में आस्था की बुड़की लगाने दूर दूर से लोग पहुँचते है। यह अनोखा मंदिर अजयगढ़ किला में ऊंची पहाड़ियों में स्थित है।अजयपाल नाम से प्रशिद्ध इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा साल में एक बार होती है।वहीं मंदिर में विराजित मूर्ति हर साल रीवा से लाई जाती है।क्योंकि मूर्ति की सुरक्षा रीवा के पुरातत्व संग्रहालय के जिम्मेदारी पर है।इसलिए पुरातत्व के अधिकारी भगवान की मूर्ति को पूजा के लिए हर वर्ष मकरसंक्रांति के दिन यहां लाते हैं। इस मूर्ति के दर्शन को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों की हर मुराद पूरी होती है।निसंतान दंपति यहां अपनी गोद भरने की दुआ लेकर आते हैं।और कुछ मन्नत पूरी होने के बाद सवैया प्रसाद चढ़ाते हैं। लोग मवेशियों की सुरक्षा की दुआ लेकर भी यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।माना जाता है कि यहां के एकमात्र कंकड़ को ही अगर मवेशियों के पास रख दिया जाए तो पशुओं की बीमारियां दूर हो जाती हैं।
'चंदेल काल से जुड़ा है अजयपाल किले का रहस्य,
अजयगढ़ के किले का इतिहास बताता है कि यह 2 हजार ईसा पूर्व चंदेल वंश के राजाओं के दौर का है। बताया जाता है कि यहां चंदेल कालीन राजाओं का खजाना है।जिसके ताला और चाबी का रहस्य बीजक में छिपा है।इस किले को लेकर कई किस्से कहानियां भी हैं। कहा जाता है कि औरंगजेब जब यहां आया तो उन्होंने किले में छिपे खजाने का पता लगाने के लिए यहां के मंदिर में रखी मूर्ति तोड़ने की कोशिश की थी। हालांकि मूर्ति टूटने के बजाय पानी के कुंड में जाकर विलुप्त हो गई।और तभी से किले में मौजूद खजाना दुनिया के लिए रहस्य बन गया है।
हम बात कर रहे पन्ना जिले अजयगढ़ में स्तिथ अजयपाल बाबा के मंदिर की।जहां सिर्फ मकरसंक्रांति के दिन ही मंदिर के पट खुलते है।और भक्तों को 48 घंटे ही दर्शन मिलते हैं।मान्यता है कि यहां पर भगवान अजयपाल बाबा के दर्शन करने से परिवार में सुख शांति सम्रद्धि रहती है।और इंसानों के साथ साथ पशुओं के लिए भी लोग यहां मन्नते मांगने के लिए आते हैं।
जानकारी के अनुसार पन्ना जिले में मकरसंक्रांति के पावन पर्व को मनाने के लिए कई जगहों पर मेला का आयोजन किया गया।लेकिन पन्ना जिले के अजयगढ़ में स्तिथ अजयपाल किले के मंदिर का महत्व भक्तों के बीच अलग ही है।यहां भक्तों को साल भर में सिर्फ एक बार दर्शन होते हैं।मकरसंक्रांति के दिन से 48 घंटे के लिए मंदिर के पट खुलते है।जहां दर्शन करने एवं पहाड़ी में स्तिथ मंदिर के समीप तालाब में आस्था की बुड़की लगाने दूर दूर से लोग पहुँचते है। यह अनोखा मंदिर अजयगढ़ किला में ऊंची पहाड़ियों में स्थित है।अजयपाल नाम से प्रशिद्ध इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा साल में एक बार होती है।वहीं मंदिर में विराजित मूर्ति हर साल रीवा से लाई जाती है।क्योंकि मूर्ति की सुरक्षा रीवा के पुरातत्व संग्रहालय के जिम्मेदारी पर है।इसलिए पुरातत्व के अधिकारी भगवान की मूर्ति को पूजा के लिए हर वर्ष मकरसंक्रांति के दिन यहां लाते हैं। इस मूर्ति के दर्शन को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों की हर मुराद पूरी होती है।निसंतान दंपति यहां अपनी गोद भरने की दुआ लेकर आते हैं।और कुछ मन्नत पूरी होने के बाद सवैया प्रसाद चढ़ाते हैं। लोग मवेशियों की सुरक्षा की दुआ लेकर भी यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।माना जाता है कि यहां के एकमात्र कंकड़ को ही अगर मवेशियों के पास रख दिया जाए तो पशुओं की बीमारियां दूर हो जाती हैं।
'चंदेल काल से जुड़ा है अजयपाल किले का रहस्य,
अजयगढ़ के किले का इतिहास बताता है कि यह 2 हजार ईसा पूर्व चंदेल वंश के राजाओं के दौर का है। बताया जाता है कि यहां चंदेल कालीन राजाओं का खजाना है।जिसके ताला और चाबी का रहस्य बीजक में छिपा है।इस किले को लेकर कई किस्से कहानियां भी हैं। कहा जाता है कि औरंगजेब जब यहां आया तो उन्होंने किले में छिपे खजाने का पता लगाने के लिए यहां के मंदिर में रखी मूर्ति तोड़ने की कोशिश की थी। हालांकि मूर्ति टूटने के बजाय पानी के कुंड में जाकर विलुप्त हो गई।और तभी से किले में मौजूद खजाना दुनिया के लिए रहस्य बन गया है।

पन्ना-हीरों झीलों और मंदिरों के नाम से विश्वविख्यात मध्य प्रदेश के पन्ना में बड़े ही ऐतिहासिक और पौराणिक धार्मिक स्थल मौजूद हैं।जिनका अपने आप मे एक बड़ा महत्व है।