बाँधवगढ़ टाईगर रिज़र्व के जंगल मे छोड़ा गया बाघ, 16 वर्षीय मुकेश यादव को उतार मौत के घाट

बीते दिनों बाँधवगढ़ टाईगर रिज़र्व के मानपुर परिक्षेत्र ग्राम खिचकिड़ी के पटपरिया मे 16 वर्षीय मुकेश यादव को खेत मे पीछे से सिर पकड़ कर जंगल की ओर घसीट कर ले गया था और इसके पहले की आपरिजन पहुँच पाते नाबालिग किशोर के प्राण पखेरू उड़ गए थे।

उमरिया के ग्राम पटपरिहा में घटित इस घटना के बाद क्षेत्र संचालक बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व राजीव मिश्रा, उपसंचालक बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व लवित भारती के मार्गदर्शन एवं उपवनमण्डलाधिकारी मानपुर सुधीर मिश्रा के कुशल निर्देशन में लगातार मानपुर,ताला कल्लवाह से वन कर्मियों ने मकरा कैम्प में रहकर दिन रात गश्ती कार्य किया।

बाघ को गढरोला गांव के पास एक चौपाएँ को किल किया था और खाने की तैयारी में ही था कि गस्ती दल की नजर बाघ पर पड़ गई और सक्षम अधिकारियों की उपस्थिति में डॉ. नितिन गुप्ता के निर्देशन में रेस्क्यू टीम द्वारा बाघ का रेस्क्यू किया गया, बाघ के परीक्षण में वह स्वस्थ्य पाया गया एवं उसकी उम्र 03 से 04 वर्ष पाई गई। उक्त क्षेत्र से हटाकर बाघ को कोर क्षेत्र के घने जंगलों में छोड़ दिया गया है। वही बाघ के पकड़े जाने की खबर सुनते ही क्षेत्र के लोगो ने राहत की सांस ली हैं.

बता दें कि हाथियों पेट्रोलिंग वाहन, ट्रैप कैमरा, ड्रोन, पिंजरा एवं सुरक्षा श्रमिको द्वारा पैदल गश्ती आदि की सहयोग से बाघ की पहचान कर उसके मूवमेण्ट व स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही थी।

उमरिया के ग्राम पटपरिहा में घटित इस घटना के बाद क्षेत्र संचालक बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व राजीव मिश्रा, उपसंचालक बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व लवित भारती के मार्गदर्शन एवं उपवनमण्डलाधिकारी मानपुर सुधीर मिश्रा के कुशल निर्देशन में लगातार मानपुर,ताला कल्लवाह से वन कर्मियों ने मकरा कैम्प में रहकर दिन रात गश्ती कार्य किया।

बाघ को गढरोला गांव के पास एक चौपाएँ को किल किया था और खाने की तैयारी में ही था कि गस्ती दल की नजर बाघ पर पड़ गई और सक्षम अधिकारियों की उपस्थिति में डॉ. नितिन गुप्ता के निर्देशन में रेस्क्यू टीम द्वारा बाघ का रेस्क्यू किया गया, बाघ के परीक्षण में वह स्वस्थ्य पाया गया एवं उसकी उम्र 03 से 04 वर्ष पाई गई। उक्त क्षेत्र से हटाकर बाघ को कोर क्षेत्र के घने जंगलों में छोड़ दिया गया है। वही बाघ के पकड़े जाने की खबर सुनते ही क्षेत्र के लोगो ने राहत की सांस ली हैं.

बता दें कि हाथियों पेट्रोलिंग वाहन, ट्रैप कैमरा, ड्रोन, पिंजरा एवं सुरक्षा श्रमिको द्वारा पैदल गश्ती आदि की सहयोग से बाघ की पहचान कर उसके मूवमेण्ट व स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही थी।

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